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About Vaishnav Astrology
भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए कहा था कि मेरे चार प्रकार के भक्त होते हैं। दो प्रकार के भक्त अर्थ, अर्थ और अर्थार्थी। ये दोनों प्रकार के भक्त परमात्मा की सकाम भक्ति करते हैं। सकाम भक्ति का परिणम ज्योतिश के मदयम से परिरक्षित होता है। अन्य दो प्रकार के भक्त जिज्ञासु और ज्ञानी।
ये दोनों प्रकार के भक्त परमात्मा की निष्काम भक्ति करते हैं। हम फ़िलहाल यहाँ पर सकाम भक्ति की बात करेंगे। वैष्णव ज्योतिष हमारे मन के अनुरूप परिणाम देने का सर्वोत्तम माध्यम है। अभी तक आपने वैदिक ज्योतिष के बारे में सुना होगा, जो कि प्रारंभिक स्थिति को परिलक्षित करता है।
परंतु वैष्णव ज्योतिषभाष्य कथन को एडवांस लेवल पर ले जाती है। वैष्णव ज्योतिष में बुनियादी ज्ञान, व्यावहारिक ज्ञान और अनुसंधान का मिश्रण है। यदापि वैदिक ज्योतिष और वैष्णव ज्योतिष में कुछ समानता है, फिर भी ये दोनो विधा पूर्ण एक दूसरे से एकदम अलग है ।

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