Vaishnav Astrology

About Vaishnav Astrology

वैष्णव ज्योतिष में बुनियादी ज्ञान, व्यावहारिक ज्ञान और अनुसंधान का मिश्रण है। यदापि वैदिक ज्योतिष और वैष्णव ज्योतिष में कुछ समानता है, फिर भी ये दोनो विधा पूर्ण एक दूसरे से एकदम अलग है ।

वैष्णव ज्योतिष में लग्न (Ascendant) व्यक्ति की जन्म कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है। यह जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर उदित होने वाला राशि चिन्ह होता है और संपूर्ण कुंडली का आधार माना जाता है। लग्न को व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, मानसिकता, स्वास्थ्य, तथा जीवन की दिशा तय करने वाला प्रमुख तत्व माना जाता है।

लग्न 12 राशियों में से किसी एक में स्थित हो सकता है और यह लगभग हर दो घंटे में बदलता रहता है, इसमें जन्म समय की सटीकता अत्यंत आवश्यक होती है। जिस राशि में लग्न स्थित होता है, वही राशि व्यक्ति की प्रथम भाव (आत्म भाव) कहलाती है और उस पर संबंधित ग्रहों का प्रभाव भी पड़ता है।

हर लग्न की एक विशेष प्रकृति होती है। जैसे मेष लग्न वाले लोग उग्र और ऊर्जा से भरपूर होते हैं, जबकि वृषभ लग्न वाले स्थिर और धैर्यवान होते हैं। इसी प्रकार, विभिन्न लग्न व्यक्ति की सोच, शारीरिक गठन, तथा जीवन में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को प्रभावित करते हैं।

वैष्णव ज्योतिष में लग्न को मजबूत बनाने के लिए विशेष उपाय और रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, जिससे कि जीवन में सफलता और सुख-शांति प्राप्त की जा सके।

ज्योतिष

 
नक्षत्र अपने स्वामी के अनुसार नही बल्कि नैसर्गिक गुणो के अनुसार फलित करता है। जैसे कि स्वाती नक्षत्र का स्वामी राहु होता है, परन्तु कोई भी ग्रह इस नक्षत्र में विचरण करते समय उत्तम फल देता है। वहीं दूसरी ओर विशाखा नक्षत्र का स्वामी गुरु होता है फिर भी मध्यम फलदायी होता है। चन्द्रमा को छोड़कर अन्य आठ ग्रह जिस नक्षत्र में विद्यमान होते है उस नक्षत्र के नैसर्गिक गुणों के आधार पर परिणाम देते है। वही चन्द्रमा में नक्षत्र दो तरह से फलदायी होता है, एक नैसर्गिक गुणों के आधार पर, दूसरे नक्षत्र स्वामी के आधार पर जिससे महादशा का प्रारंभ होता है। 
प्रत्येक ग्रह का फलादेश निम्न चरणों से गुजरने के उपरान्त ही किया जाता है।
 
1.ग्रह के अपने नैसर्गिक गुण
2.ग्रह अस्त, उदित, मार्गी एवं वक्री होने से
3.ग्रह किस राशि में है ( एवं राशि के कोन से नक्षत्र  में है)
4.जिस राशि में ग्रह है उसकी क्या स्थिति है
5.ग्रह किस भाव में है एवं ग्रह जिस भाव में है वह शुभ है या अशुभ
6.गृह क्या योग बना रहा है व क्या ग्रह की किसी अन्य ग्रह से युति व दृष्टि संबंध है
7.ग्रह का बल क्या है
8.ग्रह नवमांश आदि वर्गो में कैसा है
9.ग्रह की महादशा अन्तर्दशा कब-2 आती है 
10 गोचरवश ग्रह की क्या स्थिति है
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